शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

ये दुनिया है प्यारे.....


इस दुनिया के मंच पर कई दुनिया बस्ती हैं।

अमीरी के चश्मे से चमकती रोशन एक दुनिया,

दूर कहिं चूल्हे की राख में खाक होती एक दुनिया,

नन्ही सी आँखे जाने किस दुनिया को आँखों आँखों में तोलती हैं।

ये है ताकत की दुनिया, वो रसूफ़ की एक दुनिया,

जात के घाव से घायल एक गली चलती है यंहा,

उंच नीच की एक बस्ती भी बस्ती भी बस्ती है यंहा।

ये दुनिया तेरी है वो मेरी भी एक दुनिया,

रोज़ सपनो के शहर बसाती एक दुनिया।

गरीबी की गोद में गुम है एक दुनिया,

मखमल के पर्दों में लिपटी एक दुनिया।

है हर नज़र की अपनी एक दुनिया,

वाह री दुनिया वाह री दूँ ....



सोमवार, 17 जनवरी 2011

देश में लागू है शिक्षा का अधिकार मगर किसे मिल रही है शिक्षा ?










दिल्ली की सडको न जाने कितनी लडियां मजबूर हैं हाथ फ़ैलाने के लिए।














ये तस्वीर है एक ख़ूबसूरत शहर के बदसूरत हालत की ।












असली चेहरा तेरे-मेरे शहर का ।











भगवन के हाथो में कटोरा।












दुसरे का दर और मै मजबूर साला।













मुस्कुराता बचपन













देश का भविष्य सडको पर भीख मांगने को मजबूर क्यों ?